विकास प्राधिकरणों के जिन अधिकारियों के कार्यकाल में अवैध कालोनियां बसाई गई हैं, उनकी जवाबदेही तय की जाएगी। इन अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई करने की भी तैयारी है। आवास विभाग के स्तर से ऐसे अधिकारियों की पहचान की जा रही है। फिलहाल सभी विकास प्राधिकरणों से अवैध कॉलोनियों की संख्या के साथ ही उसके बसने की अवधि और उस समय तैनात अधिकारियों के संबंध में पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है। अवैध निर्माणों के बारे में भी जानकारी मांगी गई है।
दरअसल, पिछले दिनों आवास विभाग द्वारा तैयार की गई नई शमन नीति का प्रस्तुतिकरण देखने के बाद मुख्यमंत्री ने अवैध कॉलोनियां बसने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय करने को कहा था। उनका यह भी मानना था कि अवैध कॉलोनियों की बसावट अधिकारियों की मदद के बिना संभव नहीं है। इसी कड़ी में आवास विभाग ने एक प्रारूप तैयार कराया है, जिसमें नई बसने वाले कॉलोनी का पूरा ब्योरा रहेगा। इसमें कॉलोनी बसने के समय संबंधित क्षेत्र में तैनात रहे अवर अभियंता, सहायक अभियंता और जोनल अधिकारी के नाम के साथ ही उनके कार्यकाल की अवधि का उल्लेख किया जाएगा।
प्रारूप में अवैध कॉलोनियों की संख्या, आवासीय व व्यावसायिक भवनों की अलग-अलग संख्या भी लिखी जाएगी। इसके अलावा नियमों के तहत नियमित होने और न होने वाले निर्माणों का भी उल्लेख किया जाएगा। आवास विभाग की ओर से इस संबंध में सभी विकास प्राधिकरणों को भेजे गए निर्देश में अवैध निर्माण चिह्नित करने के लिए टीम गठित करके सर्वे कराने को कहा गया है। जिससे शमन नीति के प्रावधानों के मुताबिक नियमित होने योग्य निर्माणों को नियमित किया जा सके। वहीं, अवैध निर्माण करने वाले अगर खुद निर्माण नहीं गिराते हैं तो उनसे शमन नीति के मानक के मुताबिक शमन शुल्क भी वसूला जाएगा।
अब तक की व्यवस्था के मुताबिक अवैध निर्माण के लिए सिर्फ कॉलोनी बसाने वाले विकासकर्ता के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान था। विकास प्राधिकरणों के अधिकारियों की जिम्मेेदारी तय नहीं थी। जबकि सरकार का मानना है कि अवैध कॉलोनी बसाने वाले से अधिक जिम्मेदार विकास प्राधिकरण के अधिकारी हैं। लिहाज उनकी भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।