मुस्लिम बहुल सीट पर सपा का हिंदू कार्ड तो वही बीजेपी गठबंधन ने उतारा मुस्लिम प्रत्याशी

विधानसभा की मुस्लिम बहुल स्वार सीट के उपचुनाव में मुकाबला दिलचस्प हो गया है। सपा ने यहां हिंदू कार्ड चला है। उसने क्षत्रिय जाति की अनुराधा चौहान को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा गठबंधन के खाते से अपना दल (एस) ने यहां से मुस्लिम प्रत्याशी शफीक अहमद अंसारी को मैदान में उतारा है। जबकि, बसपा और कांग्रेस यहां रणभूमि से बाहर हैं।स्वार सीट पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम की सदस्यता खत्म होने से खाली हुई थी। सपा ने यहां से नामांकन के अंतिम दिन अनुराधा चौहान को उतारकर सभी को चौंका दिया है। यह सीट अब तक तीन बार सपा के कब्जे में रही है, पर ये तीनों मुस्लिम थे।अब तक के चुनावों में मुस्लिम बहुल यह सीट पांच बार भाजपा भी जीत चुकी है। हालांकि, अभी भी सबसे ज्यादा बार यहां से जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस के ही नाम है। बसपा को भी एक बार यहां विजयश्री मिली है।

पिछले 20 साल में हुए चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो 2002 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां जीते। 2007 में नवेद मियां ही सपा के टिकट पर फिर जीते, लेकिन बसपा की सरकार बनने पर उन्होंने पाला बदलते हुए इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव में वह बसपा प्रत्याशी के रूप में विधानसभा पहुंचे। 2012 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर फिर नवेद मियां आगे रहे।
2017 और 2022 के चुनाव में सपा के टिकट पर अब्दुल्ला आजम जीते। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा गठबंधन के तहत अपना दल (एस) ने यहां से मुस्लिम प्रत्याशी दिया था। इस बार भाजपा गठबंधन ने शफीक अहमद अंसारी को उतारकर पसमांदा मुस्लिम कार्ड खेला है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी भाजपा पसमांदा समाज को अपने करीब लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।माना जा रहा था कि सपा इस बार भी यहां से कोई मुस्लिम प्रत्याशी देगी और तब चुनावी लड़ाई भाजपा के पक्ष में रहने की ज्यादा संभावना हो सकती थी। धार्मिक ध्रुवीकरण, उपचुनाव में सत्ता अनुकूल रुझान और भाजपा गठबंधन प्रत्याशी का अपना जातिगत वोट उनका पलड़ा भारी करेंगे, ऐसा सपा खेमे में भी माना जा रहा था।

यही वजह रही कि सपा के रणनीतिकारों ने इस मुद्दे पर मंथन के बाद अनुराधा चौहान को हरी झंडी दी गई और उन्होंने आखिरी दिन अपना नामांकन कराया। सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि मुसलमान और उदार सोच के हिंदू एक साथ आ जाएं तो परिणाम उसके लिए हितकर हो सकते हैं।

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